मुझे तब तक
प्यार करना जब तक
मेरे बदन की
सारी झुर्रियों को नाम से न
बुलाने लगो तुम.
जब तक मेरी
लटों में तुम्हारी उँगलियाँ
अटकती हों
जब तक कि मेरी
आँख के शीशे में देख पाते हो
तुम ज़िक्र अपना
जब तक तुम
मेरी साँसों में अपनी दास्ताँ
पाते हो
जब तक मेरे
होठों पर तुम्हारे नाम के कई
महकते गुलाब खिलें.
जब तक तुम
मेरी आवाज़ से उठकर मेरी आह को
पढ़ने लगो.
जब तक तुम्हे
ज्ञात न हो कि हमारी मौत साथ
साथ लिखी है
जब तक मेरा
हाथ तुम्हारे हाथ को पुकारता
हो.