इंतिहा
ख़्वाब है कि हर जु़र्म की इंतिहा से मिलूं...
शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011
खूबसूरत नहीं
तुम्हारे पास हूँ,
तुम्हें छू सकती हूँ,
पर ये उतना खूबसूरत नहीं;
जितना खूबसूरत
तुम्हें पाने का ख्वाब था.
गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011
बयार मिस्त्र की
पयामी हवा है,
पंखो पे रखके
सन्देश, बदलाव
इस मारुथल से उस
मारुथल . .
एक आंधी उठाएगी.
कठपुतलियों के धागे टूटेंगे
बगावत का मंच सजेगा.
कुछ तो बदलेगा !
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)