शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010

सख्त जांच


सब जगह
शोर है ,
संदेह है .
मन के अन्दर
ही अन्दर
कई तूफ़ान हैं ,
एक इस्तीफे के
मांग है  .

पर बिल्ला  तो
साफ़ कहता है,
मलाई का कटोरा
नहीं छोडूंगा !
इस्तीफा ! नहीं नहीं
वो तो नहीं दूंगा .

एक काम हो
सकता है ,
कार्यवाही होगी ,
इस सबके के पीछे
सख्त जांच होगी .

जांच ? सख्त ?
ये तो वही है ना
जो ढीले लोग करते
हैं , उबासियाँ भरते हुए.
वो ख़त्म हो जाते हैं ,
पर ये जांच ..ये
ख़त्म नहीं होतीं .

सख्त जो ठहरीं !

नाज़ुकी से


आखिर तुम
ही बताओ -
कैसे रखा करूँ
अपनी बात ?

नाज़ुकी से !

नाज़ुकी से ??

हाँ वैसे ही जैसे
"एदगर देगा" के
चित्रों में
बैले नर्तकियां
अपने अंगूठे
से छूती हैं
एक छोटे
धरती के
कोने को

उतनी नाज़ुकी से !

शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

लोग क्या याद रखते हैं ?



लोग क्या याद रखते हैं ?

एक अजनबी जगह पर
कुछ नरमी भरे
अजनबी एहसास !

या एक रोज़ कि वो
भूख जो आप को
सेंक सेंक के खा रही थी !

या एक पहाड़ की
सांसें जो अन्दर भरी
थीं तो लगा था
जिंदगी का पता !

या फिर एक साथ ,
जो कभी आप में सिल
जाता है या कभी उधड़ !
पर जानते हो ये भी -
वो था,
वो है ,
और वो रहेगा सदा !
Related Posts with Thumbnails