आज फुर्सत है
और कुछ काम नहीं .
दिन खाली है
बजता है , खटकता है .
फुर्सत की मुझे हसरत है ,
पर उसका मिल जाना ये
बेहतर अंजाम नहीं ..
मुझे वही पसंद है ,
कि दोनों हाथ में मसरूफियत
कि मंझीरे ..
जिन्हें खनकाती रहूँ ..
ख़ामोशी पर
अपनी आवाज़ से
कुछ लिखती रहूँ ..
फुर्सत की मुझे हसरत है ,
पर उसका मिल जाना
ये बेहतर अंजाम नहीं !