बुधवार, 28 अप्रैल 2010

आज फुर्सत है


आज फुर्सत है
और कुछ काम नहीं .
दिन खाली है
 बजता है , खटकता है .

फुर्सत की मुझे  हसरत है ,
पर उसका मिल जाना ये
बेहतर अंजाम नहीं ..

मुझे वही पसंद है ,
कि दोनों हाथ में मसरूफियत
कि मंझीरे ..
जिन्हें खनकाती रहूँ ..
ख़ामोशी पर
 अपनी आवाज़ से
कुछ लिखती रहूँ ..

फुर्सत की मुझे  हसरत है ,
पर उसका मिल जाना
ये बेहतर अंजाम नहीं !
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