इंतिहा
ख़्वाब है कि हर जु़र्म की इंतिहा से मिलूं...
रविवार, 19 मई 2013
सोमवार, 7 जनवरी 2013
जब तक
मुझे तब तक
प्यार करना जब तक
मेरे बदन की
सारी झुर्रियों को नाम से न
बुलाने लगो तुम.
जब तक मेरी
लटों में तुम्हारी उँगलियाँ
अटकती हों
जब तक कि मेरी
आँख के शीशे में देख पाते हो
तुम ज़िक्र अपना
जब तक तुम
मेरी साँसों में अपनी दास्ताँ
पाते हो
जब तक मेरे
होठों पर तुम्हारे नाम के कई
महकते गुलाब खिलें.
जब तक तुम
मेरी आवाज़ से उठकर मेरी आह को
पढ़ने लगो.
जब तक तुम्हे
ज्ञात न हो कि हमारी मौत साथ
साथ लिखी है
जब तक मेरा
हाथ तुम्हारे हाथ को पुकारता
हो.
मंगलवार, 6 नवंबर 2012
रोना है
I.
रोना है उन आँखों के लिए
जो अब रोती ही नहीं
रोना है उन विचारों के लिए
जो अब हमारे नहीं
रोना है उस क्रांति के लिए जो
फ़िल्मी पर्दों में खो गयी
उस देश के लिए जिसके गरीबों का जीवन
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथों गिरवी रखा गया.
II.
रोना है उन मजदूरों के लिए
जो आज भी भूखे सो गए
उन बच्चों के लिए जो
अपाहिज भविष्य के साथ जन्में
उन औरतों के लिए जो त्यौहार पर
अपनी शादी की साड़ी रफ़ू कर रही हैं
उन किसानों के लिए जिनकी सांसें रुक चुकी हैं
महाजन के कर्जों तले.
III
रोना है उन जंगलों के लिए
जहाँ से आदिवासियों को बेदखल किया गया.
उस नदी के लिए जिसका पानी रोका गया
चंद शहरी बाबूओं की सुविधा के लिए.
रोना है उस दिल के लिए जो अब अंधा हो चला है
उस ज़ेहन के लिए जो सुन्न है, जड़ है.
रोना है उन आँखों के लिए
जो अब रोती ही नहीं
रोना है उन विचारों के लिए
जो अब हमारे नहीं
रोना है उस क्रांति के लिए जो
फ़िल्मी पर्दों में खो गयी
उस देश के लिए जिसके गरीबों का जीवन
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथों गिरवी रखा गया.
II.
रोना है उन मजदूरों के लिए
जो आज भी भूखे सो गए
उन बच्चों के लिए जो
अपाहिज भविष्य के साथ जन्में
उन औरतों के लिए जो त्यौहार पर
अपनी शादी की साड़ी रफ़ू कर रही हैं
उन किसानों के लिए जिनकी सांसें रुक चुकी हैं
महाजन के कर्जों तले.
III
रोना है उन जंगलों के लिए
जहाँ से आदिवासियों को बेदखल किया गया.
उस नदी के लिए जिसका पानी रोका गया
चंद शहरी बाबूओं की सुविधा के लिए.
रोना है उस दिल के लिए जो अब अंधा हो चला है
उस ज़ेहन के लिए जो सुन्न है, जड़ है.